Tuesday 24 October 2023
उसकी भी तो कुछ ख्वाइश होंगी
तो करो ना किस ने रोका है तुमको
Wednesday 12 December 2018
बोझ bojh
इसीलिए मुझे देखने से कभी दिल भरता ही नही था
हो सर्द राते या गर्म दोपहरें मगर वो सजदे की तरह बस मुझे देखा करता था।
अजीब ख्याल था के वो मीलो दूर था मगर जागता भी मेरे संग ओर सोता भी मेरे ख्यालो मैं था
चाहे पहरों उसके संग बिता दु मगर वो दूर जाने की घड़ी मैं आंखे भर लेता था
मैं मांगू एक फूल तो वो फूलो के बगीचे ले आता था
एक पल में सो खवाबो के महल मेरे लिए सजाता था
वो कुछ भी कर ले मेरे लिए मगर
उसका दिल कभी भरता ही नही था।
पर अचानक उसका दिल भर गया
इतना भरा जे उसने मुझे एक नजर भी न देखा
वो जो फलक से तारे भी तोड़ लाता मेरे लिए
आज उसे मैं अचानक बोझ से लगने लगी
Sunday 9 December 2018
सो साल जिए मगर हजार दफा मरे इक बरस में
आज करीब करीब एक बरस होने को हो
उसकी बेवफाई को, और शायद मेरी बददुआ के सिलसिले को भी,
कभी सोचा ही नहीं था के उसे बददुआ भी दूंगी। मगर अब देती हु रोज देती हु और बहुत सारी देती हु
सब कुछ दिया था उसको, भरोसा ऐतबार प्यार इन्तजार , एक एक पल पे उसे खुद का मालिक बनाया मैंने । एक और प्यार का जी भर के इजहार करता था वो , वही दूसरी जी भर के शक करता था और गालिया भी देता था। उसे तो ये भी पसंद नहीं था के अपनी किसी सहेली से भी बात करू मैं।
मगर उसकी गालियां खाई और फिर भी ऐतबार किया उसका, साथ नहीं छोड़ा।
अब जब वो जा रहा था, बेवफाई के रस्मे खुलकर निभा रहा था । मेरी दर्द भरी आहे उसे सुनाई ही नहीं दी। मगर फिर उसने कुछ सुना। वो सुना जो मैं कह रही थी मगर वो सुन नहीं प् रहा था।
ये मेरा दर्द या उसे रोकने का कोई बयान नहीं था। ये वो आखिरी अमानत थी जो मैं उसे दे रही थी। वो चीज जो अब मुझे नहीं चाहिए थी।
ये थी मेरी किस्मत। मैंने उसे कहा के वो जा रहा है उसने कहा ,"नहीं" । उसने कहा के बस वक़्त नहीं उसके पास। तो मैंने कहा के जाओ, जहा जाना है चले जाओ, लेकिन मुझे नहीं भूल पाओगे तुम, मैं अब हर वक़्त तुम्हारे साथ रहूंगी तुम्हारी बेटियो की किस्मत बनकर। मैं अपनी किस्मत तुम्हारी बेटियो को दे रही हु । उनकी किस्मत जब जब बदकिस्मती दिखाएगी तब तब तुम मुझे याद करना और याद ना भी करो तो भी मैं ही दिखाई दूंगी तुमको।
वो फिर पूछता है के ये बददुआ क्यों दे रही हु उसको। मैंने पूछा के वो क्यों छोड़ कर जा रहा है।
उसने कहा ," मैं जान चूका हु के तुम्हारे साथ रहा तो मेरे घरवाले मुझे जान से मार देंगे।"
वैसे हद हो गई इस बार तो यादव बाबू के झूठ बोलने की, 7 साल से तो बोल रहे थे के स्वाति , मै मर जायूँगा लेकिन तुमको नहीं छोडूंगा, यहाँ तक के मर के भी नहीं छोडूंगा तुमको।
दो चार बार तो मुझसे भी वादे लिए के वादा करो स्वाति, तुम मर चाहे जाओ लेकिन मुझको छोड़ने का जिक्र भी नहीं करना।
और आज वो इंसान मुझे कहता के उसे अब मौत से डर लग रा है तो साथ नहीं रह सकता मेरे, तो रब करे वो एक एक पल में सो मौते मरे मगर फिर भी जिंदगी खत्म न हो उसकी।
उसकी बेटियो उसे वो मंज़र दिखाए के जिनको देखकर वो सो दफा कहे खुद से के काश वो मर गया होता ये देखने से पहले, मगर वो मरे ना।
और इसी तरह वो 100 साल जीये।
किस मोड़ kis mod
दर्द बेचैनी बददुआ , ये किस मोड़ पर मोहब्बत का सिलसिला हुआ
जिसे अपना बनाने चले , वो क्यों दुश्मनो की भीड़ में शामिल दिखा
सब कुछ तो दिया उसको प्यार, वफ़ा , इंटजार तो बदकिस्मती कहा से आई दरमियां
जाते जाते उसे फिर से झोली भर के दिया मगर वो जो मुझको न मिला
Tuesday 4 December 2018
राजू को ही बददुआ क्यों
राजेश पहले से शादी शुदा दो बेटियो का बाप था। वो आया तो एक दोस्त की तरह लेकिन धीरे धीरे स्वाति के दिल में जगह बना ली उसने। और चोरी छिपे शादी भी कर ली उस से। एक ऐसी शादी जिसका ना कोई गवाह था ना कोई सबूत। पर कस्मे थी, रस्मे थी प्यार था और सब कुछ बेपनाह था
मगर ये शादी का भी वो ही अंजाम हुआ जो पहले हुआ था बस पहले तलाक के पीछे बहुत से लड़ाई झगरे थे और इस दूसरे तलाक के पीछे सिर्फ एक ख़ामोशी।
स्वाति ने टेबल से मुह उठाया और सामने देखा तो आईने में खुद स्वाति की परछांई बैठी थी । परछाई ने स्वाति से कहा के क्यों राजेश को इतनी बददुआ देती हो तुम, ऐसा क्या हुआ , कोई नई बात थोड़ी हुई तुम्हारे साथ, एक तलाक पहले हुई थी अब दूसरी भी हो गई ।जहा एक तलाक को बर्दाश्त किया अब दूसरी बार क्या तकलीफ है तुमको, क्यों दिन रात सोते बैठते, खाते, चलते, हस्ते रोते हुए राजू (राजेश) को बददुआ देती रहती हो।
शांत रहो, कम करो गुस्सा, हो सकता हो के कोई मज़बूरी रही होगी उसकी।
अब स्वाति ने देखा उस परछाई को और वो चुप हो गई।
अब स्वाति कहती है, मेरा पहली शादी में एक भी वादा एक भी कसम नहीं खाई थी रोहित ने मेरे लिए, एक बार भी प्यार का दावा नहीं किया था, मुझसे प्यार की मिन्नतें नहीं की थी, मेरे दरवाजे पर दिन रात भिखारी की तरह प्यार की भीख नहीं मांगी थी, उसने अपने खुद के बेटे को गले से नहीं लगाया ।
लेकिन राजू ने मुझसे अनगिनत वादे किये थे, उसने कहा था के वो मरेगा लेकिन मुझे नहीं छोड़ेगा, वो सब रिश्ते तोड़ देगा लेकिन ये रिश्ता नहीं टूटने देगा। पहली बार मेरे सपने टूटे और दिल टुटा तो राजू ने अपने प्यार से उसे सवारा था तो क्या इसलिए के दूसरी बार उसे वो खुद चकनाचूर कर सके। उसने मेरे दरवाजे पर आकर सालो प्यार की भीख मांगी थी तो क्या इसलिए के जब मेरा दिल उसे प्यार देने के लायक हो तो वो मुझे जलील कर सके।
बेशर्मी besharmi
उसके हिम्मत की दाद दू या बेशर्मी की, के मेरे प्यार पाने के लिए भीख मांगता था मुझसे,
आज मुझे ही अकड़ के कहता है के देखो ऐसे नहीं रह सकता तुम्हारे साथ