tag:blogger.com,1999:blog-77681792501111941482024-03-04T21:16:47.606-08:00Dikhava'दिखावा' एक लघु कहानी ब्लॉग है। यह एक प्रयास है समाज को आइना दिखाने का। ' दिखावा ' मुख्या उदेशय लोगो को अंतकरण मै झाकने के लिए प्रेरित करना है Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-47004516863235982812023-10-24T14:23:00.001-07:002023-10-24T14:23:08.696-07:00उसकी भी तो कुछ ख्वाइश होंगीवो जो जी जान लुटाता है मुझपर<div>वो जो जी भर के हसाता है मुझको</div><div>बहुत दिल चाहता है के मैं भी उस से पूछूं</div><div>के तुम्हारी भी तो कुछ ख्वाइश होंगी</div><div><br></div><div>कुछ नही कहता, ना अफसोस जताता है </div><div>पर दिन भर का थका हारा मुझे आकर गले जरूर लगाता है</div><div>मैं कुछ न कर पाने के हजार बहाने उसे बताती हूं</div><div>मगर वो चुपचाप सब कुछ मेरे लिए करता ही जाता है</div><div><br></div><div>सोचती हूं के कुछ नया कपड़े लू उसके लिए</div><div>या कुछ अच्छा खाना बना दू उसको मैं</div><div>पर क्या इतना सा कुछ करने से ही </div><div>मैं उसके बराबर खड़ी हो जाती हू प्यार में</div><div><br></div><div>कुछ नही समझ आता, बस दिल चाहता है</div><div>के दिन रात दुआ मांगू उसके लिए के </div><div>हर खुशी उसे मिले मुस्कराहट उसकी कभी ना छूटे</div><div>बस इतनी ही दुआ है अब मेरी के मेरी ये दुआ कबूल हो जाए</div>Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-44091205891072082332023-10-24T13:51:00.001-07:002023-10-24T13:51:52.838-07:00तो करो ना किस ने रोका है तुमकोसोचा के आज रात एक कविता लिखूंगी<div>मगर इनको ऑफिस से आते आते देर हो गईबार घर आए तो खाना लगाया और किचन के बर्तन धोते धोते मैं थक के सो गई</div><div>सोचा के आज अच्छे से तैयार होकर बाहर घूमने जाऊंगी</div><div>मगर बचो ने आज बहुत तंग किया और इतना थका दिया के बाहर जाने का दिल ही नहीं हुआ तो तैयार क्या होती</div><div><br></div><div>सोचा के आज घर का सब काम जल्दी कर के दोपहर को बच्चो के स्कूल से आने ए पहले कोई अच्छी फिल्म देखूंगी</div><div>मगर अचानक से घर पे कोई आ गया और फिर कुछ जान पहचान के लोगो के फोन कॉल खतम करते ही डोरबेल बाजी और बच्चे घर आ गए</div><div><br></div><div>सोचा के इस बार कुछ पैसे बचाकर एक नया फोन ले लूंगी मगर अचानक से बच्चो के नए स्कूल बैग की डिमांड आ गई</div><div>सोचा के अब से हर महीने कुछ पैसे बचायुंगी और साल भर के भीतर एक छोटी सी हल्की सी सोने की चैन बनवा लूंगी अपने लिए मगर अचानक से किसी की शादी आ गई और बच्चों के कपड़ो और लेनदेन में सारा साल भर का बजट हिलगया</div><div><br></div><div>मुझे पता है के ये सब मेरी फरमाइश थी सिर्फ मेरी और मेरे खुद के लिए , और घर के बाकी लोगो की भी बहुत सी फरमाइश रही होंगी पर क्या करू मेरी तो शिकायते भी अजीब है के थोड़ा खुद से खुद के लिए वक्त तो दे दो के कही बाहर घूम लू,कोई ऑनलाइन मूवी देख लू</div><div>इस पर एक ही जवाब मिलेगा</div><div><br></div><div>तो करो ना,किस ने रोका है तुमको.........</div><div><br></div>Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-26849450723955687322018-12-12T09:43:00.002-08:002021-01-05T00:35:17.454-08:00बोझ bojh<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="padding: 5px; text-align: center;"><br /></div>
<div class="blogaway-section">
शायद बहुत खाली था उसका दिल ,<br />
इसीलिए मुझे देखने से कभी दिल भरता ही नही था<br />
हो सर्द राते या गर्म दोपहरें मगर वो सजदे की तरह बस मुझे देखा करता था।<br />
अजीब ख्याल था के वो मीलो दूर था मगर जागता भी मेरे संग ओर सोता भी मेरे ख्यालो मैं था<br />
चाहे पहरों उसके संग बिता दु मगर वो दूर जाने की घड़ी मैं आंखे भर लेता था<br />
मैं मांगू एक फूल तो वो फूलो के बगीचे ले आता था<br />
एक पल में सो खवाबो के महल मेरे लिए सजाता था<br />
वो कुछ भी कर ले मेरे लिए मगर<br />
उसका दिल कभी भरता ही नही था।<br />
पर अचानक उसका दिल भर गया<br />
इतना भरा जे उसने मुझे एक नजर भी न देखा<br />
वो जो फलक से तारे भी तोड़ लाता मेरे लिए<br />
आज उसे मैं अचानक बोझ से लगने लगी</div>
<br /></div>
Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-85602706657321823062018-12-09T11:14:00.002-08:002021-01-05T00:34:57.441-08:00सो साल जिए मगर हजार दफा मरे इक बरस में<div class="blogaway-section"><p><br />
<br /><br />
<br />आज करीब करीब एक बरस होने को हो<br />
उसकी बेवफाई को, और शायद मेरी बददुआ के सिलसिले को भी,<br />
कभी सोचा ही नहीं था के उसे बददुआ भी दूंगी। मगर अब देती हु रोज देती हु और बहुत सारी देती हु<br />
<br />सब कुछ दिया था उसको, भरोसा ऐतबार प्यार इन्तजार , एक एक पल पे उसे खुद का मालिक बनाया मैंने । एक और प्यार का जी भर के इजहार करता था वो , वही दूसरी जी भर के शक करता था और गालिया भी देता था। उसे तो ये भी पसंद नहीं था के अपनी किसी सहेली से भी बात करू मैं।<br />
मगर उसकी गालियां खाई और फिर भी ऐतबार किया उसका, साथ नहीं छोड़ा।<br />
अब जब वो जा रहा था, बेवफाई के रस्मे खुलकर निभा रहा था । मेरी दर्द भरी आहे उसे सुनाई ही नहीं दी। मगर फिर उसने कुछ सुना। वो सुना जो मैं कह रही थी मगर वो सुन नहीं प् रहा था।<br />
<br />ये मेरा दर्द या उसे रोकने का कोई बयान नहीं था। ये वो आखिरी अमानत थी जो मैं उसे दे रही थी। वो चीज जो अब मुझे नहीं चाहिए थी।<br />
<br />ये थी मेरी किस्मत। मैंने उसे कहा के वो जा रहा है उसने कहा ,"नहीं" । उसने कहा के बस वक़्त नहीं उसके पास। तो मैंने कहा के जाओ, जहा जाना है चले जाओ, लेकिन मुझे नहीं भूल पाओगे तुम, मैं अब हर वक़्त तुम्हारे साथ रहूंगी तुम्हारी बेटियो की किस्मत बनकर। मैं अपनी किस्मत तुम्हारी बेटियो को दे रही हु । उनकी किस्मत जब जब बदकिस्मती दिखाएगी तब तब तुम मुझे याद करना और याद ना भी करो तो भी मैं ही दिखाई दूंगी तुमको।<br />
<br />वो फिर पूछता है के ये बददुआ क्यों दे रही हु उसको। मैंने पूछा के वो क्यों छोड़ कर जा रहा है।<br />
उसने कहा ," मैं जान चूका हु के तुम्हारे साथ रहा तो मेरे घरवाले मुझे जान से मार देंगे।"<br />
<br />वैसे हद हो गई इस बार तो यादव बाबू के झूठ बोलने की, 7 साल से तो बोल रहे थे के स्वाति , मै मर जायूँगा लेकिन तुमको नहीं छोडूंगा, यहाँ तक के मर के भी नहीं छोडूंगा तुमको। <br />
<br />दो चार बार तो मुझसे भी वादे लिए के वादा करो स्वाति, तुम मर चाहे जाओ लेकिन मुझको छोड़ने का जिक्र भी नहीं करना।<br />
<br />और आज वो इंसान मुझे कहता के उसे अब मौत से डर लग रा है तो साथ नहीं रह सकता मेरे, तो रब करे वो एक एक पल में सो मौते मरे मगर फिर भी जिंदगी खत्म न हो उसकी।<br />
<br />उसकी बेटियो उसे वो मंज़र दिखाए के जिनको देखकर वो सो दफा कहे खुद से के काश वो मर गया होता ये देखने से पहले, मगर वो मरे ना। <br />
<br />और इसी तरह वो 100 साल जीये। <br /></p></div><br />Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-30516699197741029492018-12-09T10:50:00.001-08:002018-12-09T10:50:17.507-08:00किस मोड़ kis mod<div class="blogaway-section"><p>दर्द बेचैनी बददुआ , ये किस मोड़ पर मोहब्बत का सिलसिला हुआ<br/>
जिसे अपना बनाने चले , वो क्यों दुश्मनो की भीड़ में शामिल दिखा<br/>
<br/>सब कुछ तो दिया उसको प्यार, वफ़ा , इंटजार तो बदकिस्मती कहा से आई दरमियां<br/>
जाते जाते उसे फिर से झोली भर के दिया मगर वो जो मुझको न मिला<br/>
</p></div><br/>Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-21732549189823952852018-12-04T20:38:00.001-08:002018-12-11T06:43:59.090-08:00राजू को ही बददुआ क्यों<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="blogaway-section">
स्वाति कुर्सी टेबल पर बैठी हुयी खुद में कुछ गुम सी थी। स्वाति जिसे जीवन में दो बार तलाक देखा। पहली बार उस पति से जिसे उसके माँ बाप ने चुना। स्वाति को रोहित से कुछ खास प्यार नहीं हुआ कभी भी लेकिन लगाव बहुत हुआ। क्योंकि स्वाति ने पहले ही दिन से एक नापसंद दिखने वाले चेहरे को अपना मान लिया था। उसे लगा के ये ही उसकी दुनिया है। ये घर गृहस्ती उसकी अपनी है और फिर अपनी चीज तो चाहे अछि हो खराब , सुन्दर हो या बदसूरत सबको अछि ही लगती है लेकिन उसका सब सपने टूट गए। उसकी शादी एक नापसंद दिखने वाले चेहरे से ही नहीं बल्कि एक कमअक्ल और बदमिजाज इंसान से हुई थी। स्वाति को बहित दुल्हन हुआ अपने तलाक से, इसलिए नहीं के वो रोहित को प्यार करती थी बल्कि इसलिए के वो इस रिश्ते को प्यार करती थी इस गृहस्ती को प्यार करती थी। अभी इस गम से बाहर निकली ही नहीं थी के राजेश उसकी जिंदगी में आ गया।<br />
<br />
राजेश पहले से शादी शुदा दो बेटियो का बाप था। वो आया तो एक दोस्त की तरह लेकिन धीरे धीरे स्वाति के दिल में जगह बना ली उसने। और चोरी छिपे शादी भी कर ली उस से। एक ऐसी शादी जिसका ना कोई गवाह था ना कोई सबूत। पर कस्मे थी, रस्मे थी प्यार था और सब कुछ बेपनाह था<br />
मगर ये शादी का भी वो ही अंजाम हुआ जो पहले हुआ था बस पहले तलाक के पीछे बहुत से लड़ाई झगरे थे और इस दूसरे तलाक के पीछे सिर्फ एक ख़ामोशी।<br />
स्वाति ने टेबल से मुह उठाया और सामने देखा तो आईने में खुद स्वाति की परछांई बैठी थी । परछाई ने स्वाति से कहा के क्यों राजेश को इतनी बददुआ देती हो तुम, ऐसा क्या हुआ , कोई नई बात थोड़ी हुई तुम्हारे साथ, एक तलाक पहले हुई थी अब दूसरी भी हो गई ।जहा एक तलाक को बर्दाश्त किया अब दूसरी बार क्या तकलीफ है तुमको, क्यों दिन रात सोते बैठते, खाते, चलते, हस्ते रोते हुए राजू (राजेश) को बददुआ देती रहती हो।<br />
शांत रहो, कम करो गुस्सा, हो सकता हो के कोई मज़बूरी रही होगी उसकी।<br />
अब स्वाति ने देखा उस परछाई को और वो चुप हो गई।<br />
अब स्वाति कहती है, मेरा पहली शादी में एक भी वादा एक भी कसम नहीं खाई थी रोहित ने मेरे लिए, एक बार भी प्यार का दावा नहीं किया था, मुझसे प्यार की मिन्नतें नहीं की थी, मेरे दरवाजे पर दिन रात भिखारी की तरह प्यार की भीख नहीं मांगी थी, उसने अपने खुद के बेटे को गले से नहीं लगाया ।<br />
लेकिन राजू ने मुझसे अनगिनत वादे किये थे, उसने कहा था के वो मरेगा लेकिन मुझे नहीं छोड़ेगा, वो सब रिश्ते तोड़ देगा लेकिन ये रिश्ता नहीं टूटने देगा। पहली बार मेरे सपने टूटे और दिल टुटा तो राजू ने अपने प्यार से उसे सवारा था तो क्या इसलिए के दूसरी बार उसे वो खुद चकनाचूर कर सके। उसने मेरे दरवाजे पर आकर सालो प्यार की भीख मांगी थी तो क्या इसलिए के जब मेरा दिल उसे प्यार देने के लायक हो तो वो मुझे जलील कर सके।</div>
<br /></div>
Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0Crossings Republik, Ghaziabad, Uttar Pradesh 201016, India28.6310385 77.4358577000000423.1090039999999988 36.127263700000043 54.153073 118.74445170000004tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-52529325549555327122018-12-04T09:51:00.001-08:002018-12-04T09:51:46.966-08:00बेशर्मी besharmi<div class="blogaway-section"><p>उसके हिम्मत की दाद दू या बेशर्मी की, के मेरे प्यार पाने के लिए भीख मांगता था मुझसे,<br/>
आज मुझे ही अकड़ के कहता है के देखो ऐसे नहीं रह सकता तुम्हारे <u>साथ</u></p></div><br/>Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-70157636950564851272018-12-04T09:46:00.001-08:002019-02-10T07:31:16.108-08:00मोक्ष अभिलाषी moksh abhilashi<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="blogaway-section">
वो एक मोक्ष अभिलाषी था। उसे इर्द गिर्द अच्छे सच्चे और नेक कर्मो का घेरा था।<br />
उसे बच्चो से प्यार था। उसे पेड़ पोधे हरियाली उगाने का शोक था।<br />
वो मोम दिल था। वो आंसू देख नहीं सकता था। वो अपनी बेटियो को शहजादियों की तरह रखता था।<br />
एक बार उसे गलती से झुंझलाहट में मैंने कुछ कह दिया तो गुस्से में मुझे बोल गया के उसकी बेटियो की ख़ुशी के लिए उसके अच्छे कर्म ही काफी है।<br />
वो तीर्थ दर्शन करना चाहता था। वो गंगा किनारे मेरे संग बैठा रहता था।<br />
वो गली गली मुझे ढूंढता रहता था।<br />
वो जीवन सीमा के बाद भी मेरे संग रहने की उम्मीद करता था। उसे मेरा कोई भी लहजा चाहे नरम या सख्त कभी बुरा नहीं लगता था।<br />
सच कहु तो मुझे भी वो फरिश्ता सा ही लगता था।<br />
मगर ये सब बातो में अब 'था' आता है क्योंकि वो है लेकिन वो ये सब नहीं है अब<br />
वो गुनाहो की कोठरी में बंद है अब,<br />
उसके सब अच्छे कर्म मेरे पर आकर खाक हो गए।<br />
वो जो मोम बना फिरता था मेरे सामने पत्थर बन गया अब।<br />
वो जो आंसुओ को भी बर्दाश्त नहीं कर सकता था वो मेरी मिन्नतों को भी नजर अंदाज कर के जा चूका है। उसके सर मुझे जीते जी मारने का इल्जाम आ चूका है।<br />
वो जो मेरे सर पर चादर बनकर ढका करता था दामन मेरा, वो दुनिया भर के महफ़िल में रुसवा कर चूका मुझे।<br />
वो जो गलियो गलियो ढूंडा करता था मुझे , आज अंधे कुवें में धकेल चूका मुझे।<br />
<br />
उसे इतना ही कहना चाहती हु के अब उसके अच्छे कर्म खत्म हो गए केवल नीच कर्म ही बाकी है। <br />
और उनका हिसाब दिए बिना दुनिया से उसे जाने नहीं दूंगी मैं।<br />
जो किसी की बेटी को लाश बनाकर भरे बाजार फेक गया , एक दिन खुदा उसकी बेटियो को भी ये अंजाम देगा।<br />
क्योंकि मैंने सुना के खुदा की अदालत में आँख के बदले आँख, और इज्जत के बदले इज्जत देकर हिसाब चुकाया जाता है।<br />
<br />
मै खुदा नहीं मगर ये यकीन जरूर है मुझे के मेरी बददुआ उसे अगले 100 जन्मो तक भी मोक्ष नहीं देने देंगी। अब उस मोक्ष अभिलाषी को माफ़ी नहीं मिलेगी </div>
<br /></div>
Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0Crossings Republik, Ghaziabad, Uttar Pradesh, India28.6294093 77.4329047999999628.615471799999998 77.412734799999967 28.6433468 77.453074799999953tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-63013654186336780012018-12-03T10:37:00.001-08:002018-12-04T09:23:24.095-08:00जायज बददुआ<div class="blogaway-section"><p>स्वाति रिक्शा के पीछे बैठी भीड़ भाड़ वाले बाज़ारो से निकल रही थी। बाजारों में यु तो वैसी ही रौनक और शोर गुल था जैसा की हर बार दीवाली पे होती है। मगर ये सब कुछ स्वाति को अच्छा नहीं लग रहा था । वो जाने किन सोचो में गुम थी।<br/>
सात साल पहले<br/>
स्वाति बहुत उदास और परेशान थी। उसकी शादी को दो साल भी नहीं हुए थे के हालात तालाक तक पहुँच गए थे। कोर्ट में केस चल पड़ा था। दोनों पार्टीज जानती थी के होगा कुछ नहीं आखिर में तलाक ही होगी बस लेकिन  सब कोर्ट   कचहरी के रिवायती दस्तूर थे तो आगे बढ़ रहे थे।<br/>
इस परेशानी में स्वाति को कुछ समझ नहीं आ रहा था के क्या करे, किस से बात करे, कोई भी उसे अपना लग नहीं रहा था और सहेलियों की तो पहले ही शादी हो गई थी । स्वाति बहित अकेली हो गई थी ।वो भूल जाना चाहती थी के उसकी कभी शादी भी हुई थी। <br/>
यु ही एक दिन उसकी मुलाकात राजेश से हुई। राजेश यु पी जल बोर्ड, मेरठ मे सरकारी नोकरी करता था।<br/>
बातो बातो में बात होने लगी। दरसअल राजेश कानूनी मसलो में काफी अछि जानकारी रखता था। तो कई बार स्वाति उस से सलाह लेने क लिए उस से बात कर लेती थी।<br/>
इसी बीच राजेश ने उसे बताया के वो शादीशुदा है और दो बेटियो का बाप भी है।<br/>
स्वाति को  इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि वो इसे महज दोस्त की नजर से देखती थी और वैसे भी स्वाति भी अभी कुछ महीने पहले एक बेटे की माँ बन चुकी थी । <br/>
राजेश ने उसे बताया के उसके और उसकी पत्नी अपर्णा के सम्बन्ध अच्छे नहीं थे ।वो केवल अपनी पत्नी और बच्चों की जिमेदारी निभा रहा है वर्ना उसके घरवालो को न तो राजेश की कोई जरुरत थी और न ही कोई प्यार।<br/>
स्वाति को उसकी बातो से बहुत सहानुभूति होने लगी लेकिन इस सहानुभूति का मतलब राजेश ने प्यार समझ लिया खुद से ही।<br/>
एक दिन राजेश ने स्वाति को प्रोपोज़ कर दिया के वो  उस से शादी करना चाहता है।<br/>
इस बात से स्वाति राजी नहीं थी उसने कई बार राजेश से बात तक करना छोड़ दिया। उसे साफ़ साफ़ मना किया। मगर राजेश का मन उसके काबू में नहीं था । वो रोज किसी नये नंबर से फ़ोन करता स्वाति को, उसे sms करता, ईमेल करता, के किसी तरह स्वाति की आवाज सुन पाये। <br/>
रोज हजारो वादे करता, कस्मे खाता के वो स्वाति से केवल नाम की शादी नहीं करेगा बल्कि स्वाति को  उसका हक़ भी दिलवाएगा।<br/>
आखिर स्वाति का दिल पिघला और उसने राजेश से चोरी छिपे वृन्दावन के एक मंदिर में शादी कर ली।<br/>
इसके बाद दोनों होटल में मिलते और दो दिन दिन पति पत्नी की तरह साथ रहते और फिर अपने अपने शहर निकल जाते। हालांकि इस बीच राजेश का वादों और कसमो का सिलसिला जारी रहा। वो हजारो मर्तबा तो अपनी बेटियो की कसम खा चूका था के कुछ भी होगा लेकिन स्वाति का साथ नहीं छोड़ेगा।<br/>
<br/>अब 5 साल हो गए । स्वाति खुद के रिश्ते को दुनिया के सामने लाना चाहती थी लेकिन राजेश अभी भी अपनी परेशानियो में उलझ हुआ था। हां गर स्वाति कभी उसे भूले से भी बोल दे के वो इस गुमनाम रिश्ते में नहीं रहना चाहती तो फिर एक नयी कसम खाकर उसे कुछ दिन इन्तजार करने को बोल देता था।<br/>
एक बार स्वाति ने राजेश को बोला के उन्हें अलग हो जाना चाहिए तो राजेश ने स्वाति से कसम उठाने को बोला के वादा करो स्वाति, तुम मर जाओगी लेकिन मुझसे दूर नहीं जाओगी।<br/>
ये सब चल रहा था के अचानक खबर आई के राजेश की छोटी बेटी को कैंसर है। तो राजेश ने स्वाति से फिर से एक साल का वक़्त माँगा के इस बीच वो अपनी बेटी का इलाज कराएग और जैसे ही मन्नू यानि राजेश की छोटी बेटी ठीक होगी वो स्वाति को अपने घर यानी स्वाति को उसके ससुराल ले जायेगा और सब से परिचय करायेगा और उसे बीवी होने का हक़ भी दिलाएगा। <br/>
स्वाति को अच्छे से याद है ये भी एक वादा था राजेश का।<br/>
<br/>अब स्वाति दिल से दुआ करती थी के मन्नू ठीक हो जाए । और राजेश की जिंदगी में अब कोई परेशानी न रहे।<br/>
<br/>1 साल बीत गया, मन्नू ठीक हो गई थी। लेकिन अब राजेश का रवैया बहुत बदल चूका था । वो न तो स्वाति को खुद फ़ोन करता था न उसके फ़ोन पर ज्यादा बात करता था।<br/>
यहाँ तक के उस से मिलने को भी मना कर देता था। लेकिन स्वाति को यकीन था अभी भी के राजेश बदल नहीं सकता बस बिजी होगा तो बात नहीं करता।<br/>
<br/>एक दिन तो स्वाति ने खूब लड़ाई भी करी राजेश से, लेकिन स्वाति ने फिर सोचा के राजेश तो अपनी बेटियो के लिए जान तक देने को तौयार रहता है तो अपनी बेटियो की खायी हजारो कस्मे भूलने या तोड़ने की तो वो सोचेगा भी नहीं।<br/>
<br/>अब लड़ाई हुए एक महीना हो गया था। राजेश तो स्वाति से बात किये बिना 6 घंटे नहीं गुजार सकता था और अब एक महीने में एक फ़ोन भी नहीं।<br/>
<br/>स्वाति सोच सोचकर पागल सी हो रही थी। उसे समझ ही ना आ रहा था के क्या हो रहा है। <br/>
परेशानी बढ़ि तो शारीर पे असर दिखने लगा । स्वाति को खाना पीना पचना बंद हो गया। उसे एक महीने में दूसरी बार हॉस्पिटल एडमिट होना पड़ा। <br/>
अब स्वाति ने रोते रोते राजेश को फ़ोन किया के वो बीमार है कम से कम उसे देखने ही आ जाओ। तो राजेश ने झुँझलाकर जवाब दिया के अभी तो दो महीने टाइम नहीं उसके पास कही भी जाने आने का। तो वो नहीं आ सकता स्वाति से मिलने।उसके बाद स्वाति ने राजेश को कभी फ़ोन नहीं किया।<br/><br/>
<br/>आज एक साल बीत गया राजेश से उस आखिरी बार फ़ोन पे बात हुए। ऐसा नहीं के स्वाति आज उसे भूल गई लेकिन हां वो अब कभी भी राजेश की आवाज नहीं सुन्ना चाहती ।<br/>
<br/>इस बीच स्वाति ने बहित बददुआ दी राजेश को और उसकी उन बेटियो को , जिनके सर की झूठी कस्मे राजेश ने खाई।<br/>
लेकिन उसने कभी भी बददुआ नहीं करी के मन्नू  को कैंसर हो दुबारा। क्योंकि उसे लगा के ये बददुआ शायद जायज न हो।<br/>
<br/>मगर आज उसे याद आयाके जब मन्नू को ये बीमारी हुआ तो राजू ने परेशानी में स्वाति को कहा के वो मन्नू को इस बीमारी में नहीं देख प् रहा। मन्नू की जगह , अपर्णा या मुझे या फिर उसकी माँ गर बीमार हो जाती तो वो उनका इलाज करा लेता लेकिन मन्नू को डॉक्टर पास ले जाने के नाम से ही डरता है वो <br/>
<br/>आज स्वाति को लगा के अब जब स्वाति सच में हॉस्पिटल एडमिट हुई तो राजू उसे देखने आना तो दूर उसका हाल भी नहीं पूछा तो इस हालात में जब वो खुद से अपनी बेटियो की कस्मे तोड़ चूका है, आज स्वाति ने फिर भरे मैं से पहली बार बददुआ करी के राजू की बेटी इस बीमारी से कभी आज़ाद ना हो। <br/>
बाकी भगवन जानेगा के सच सही गलत क्या है मगर स्वाति दिन रात के हर पहर अब उस शक्श और उसकी दोनों बेटियो के लिए लंबी उम्र की दुआ करती है के वो खूब जिए मगर तन्हाई में, उसकी बेटियो के चेहरे पर हमेशा मातम का सन्नाटा छाया रहे। राजेश आनेवाले 50 साल तक यु ही अपनी जिन्दा जागती बेटियो को लाश की तरह देखे जैसे वो स्वाति को बना गया। आमीन<br/></p></div><br/>Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-28984649497909505872018-11-14T02:28:00.001-08:002018-11-14T02:28:29.229-08:00शादी का प्रश्न और सावधानी <div class="blogaway-section"><p>अजब दस्तूर है जमाने का, आज अख़बार पढ़ रही थी तो नजर मेट्रिमोनियल कॉलम पे गयी। जब गोर से पढा तो जाना केअजीब अजीब अनजाने लोग फरमाइशें का पिटारा लेकर बैठे थे।<br/>
चलो एक अनोखी फरमाइश बताती हु जो आज भी लड़केवालों की सबसे अहम् फरमाइश रहती है। की लड़की सुन्दर होनी चाहिए । मुझे यु तो कोई ऐतराज़ नहीं के किसी की क्या फरमाइश है लेकिन आप अपनी फरमाइशें पूरा होने की सूरत क्या शादी के सफल होने के गुरंटी भी दे रहे है ये सवाल मेरा लड़केवालों से है।<br/>
<br/>दूसरी बात के आप कैसे किसी लड़की को अपने पैमाने पर खूबसूरत या बदसूरत कह सकते है। ।हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री में अनेको सावंले रंग की हीरोइन है जो स्क्रीन पर आते ही सोने की तरह चमकती दिखती है। यदि आप वास्तविकता में चाहते है के आपकी पत्नी एक हेरोइन की तरह दिखे तो क्या इन हेरोइन की असलियत मालूम करना नहीं चाहिए आपको। <br/>
तीसरा प्रश्न, उपरोक्त दोनों बाते छोर दे यदि आप सुन्दर पत्नी की कामना करते है तो आपकी पत्नी भी शयद सुन्दर पति की कामना रखती होगी। तो क्या लड़के खुद को शाहरुख़ खान , सलमान खान या रणबीर सिंह जैसा आईने में देख पाते है?<br/>
<br/>चौथा प्रश्न, यदि आप को सुन्दर पत्नी भी मिल जाए तो भी उसकी सुंदरता तभी तक कायम रहेगी जब तक आप उसे किसी परी या सजावट के सामान की तरह सजा कर रखेंगे, यदि उस से घर का झाड़ू पोछा लगवाएंगे तो उसकी सुंदरता ज्यादा दिन तक कायम नहीं रहने वाली।<br/>
<br/>पांचवा प्रश्न, कितना भी सुन्दर रूप हो, उम्र के साथ खत्म ही हो जायेगा, चेहरे पर झुर्रियां भी आएँगी और बालो मे सफेदी भी , तो क्या उस सूरत में आप एक कुरूप बूढी औरत का साथ छोड़ देंगे। <br/>
<br/>यह प्रश्न तो लड़को के लिए था लेकिन सावधानी का संदेसा लड़कियो के लिए था, के उन पुरुषो से कभी शादी मत कीजिये जो आपका रूप देखकर आपसे शादी को लालायित रहते हो।<br/>
</p></div><br/>Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-83288055675333826232018-03-04T06:43:00.001-08:002018-03-04T06:43:25.772-08:00मोदी जी की तारीफ मैं दो शब्द <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif;"><span style="background-color: white; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">मोदी जी की तारीफ मैं दो शब्द </span></span><br />
<span style="color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif;"><span style="background-color: white; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;"><br /></span></span>
<span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">1.मुझे सिर्फ 50 दिन दे दो मैं आपको आपके सपनों का भारत दे दूँगा।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">2.100 दिन में काला धन भारत ला दूँगा नहीं तो फाँसी दे देना।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">3. 1 साल के भीतर -2 राजनीति से अपराधियों की सफाई कर दूँगा।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">4. उनको 60 साल दिए हैं, मुझे सिर्फ 60 महीने दे दो।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">5. 2015 तक ये कर दूँगा, 2017 तक वो कर दूँगा, नहीं तो लात मार देना, ज़िंदा जला देना।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">6. 2019 तक वो भी कर दूँगा।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">7. 2022 तक ही ये हो पाएगा, 2023 से पहले वो नहीं होगा।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">8. 2025 तक वो हो जाएगा, 2030 से पहले ये नहीं हो सकता।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">9. ये 25 साल से पहले नहीं हो सकता। वो 30 साल में ही हो पाएगा।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">10. हम अगले 50 साल के लिए सत्ता में आए हैं।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अजीब सा बयान दिया कि "जो लोग दलाली नहीं ले पा रहे हैं वह रोजगार का हल्ला मचा रहे हैं"</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">यह प्रतिवर्ष 2 करोड़ रोजगार देने के नाम पर चुन कर आए देश के प्रधानमंत्री का बयान है।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">यदि यह सच है तो मई 2014 से पहले नरेंद्र मोदी से अधिक रोजगार पर हल्ला मचाने वाला व्यक्ति कोई नहीं था। इस हिसाब से नरेंद्र मोदी दलाली खाने वाले सबसे बड़े व्यक्ति थे।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">मतलब समझिए आप, इनसे इनके किए वादों पर कोई सवाल करे तो वह पाकिस्तानी से लेकर दलाल तक इनके द्वारा ही घोषित कर दिया जाएगा।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">मेक इन इंडिया - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">स्टार्ट अप इंडिया- फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">पाकिस्तान थर-थर- फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">चीन थर-थर - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">काला धन - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">15 लाख - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">2 करोड़ रोजगार- फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">स्वच्छ भारत - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">नमामि गंगे - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">बुलेट ट्रेन - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">सड़क निर्माण - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">एक के बदले 10 - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">महिला सुरक्षा - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">विकास बाऊ - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">काशी टू क्योटो - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">100 स्मार्ट सिटी - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">विदेशी निवेश - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">धारा 370 - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">मंदिर निर्माण - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">फसल का डेढ़ गुना- फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">वन रैंक वन पेन्शन - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">लोकपाल - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">मँहगाई में कमी - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">व्यापार - फुस्स</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">कहने का मतलब यह है कि सब कुछ फुस्स , और इनसे सवाल पूछो तो ये पाकिस्तानी और दलाल घोषित कर देंगे।</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">
</span><span style="background-color: white; color: #111111; font-family: Roboto, Arial, sans-serif; font-size: 14px; white-space: pre-wrap;">बाकी सब ठीक है, गाय हमारी माता है बछड़ा हमारा सौतेला भाई !</span></div>
Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-76386735900695168982018-02-27T03:03:00.001-08:002018-12-09T04:36:35.672-08:00रेड लिपस्टिक दिलवा देना<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="blogaway-section">
रेखा का शादी के दो साल बाद ही तलाक हो गया था और तबसे वो अपने माता पिता के घर ही रहती थी। उसकी एक बेटी भी है जिसका जनम उसके माँ बाप के घर ही हुआ और उसके जनम के बाद वो कभी ससुराल नहीं गयी न ही कोई ससुरलिया उसकी या उसके बच्चे की खेर खबर लेने आया कभी ।और अंत मे , टूटे हुए सपनो को बटोर कर रेखा फिर से एक नयी जिंदगी जीने लगी।<br />
वो अभी ससुराल के ख़ौफ़नाक मंजर और क्रूर पति के कैफ से बहार निकली ही नहीं थी के उसकी जिंदगी मई राजू यानी राजीव आ गया,। राजीव जराजीव जिसकी एक बीवी थी दो बेटिया थी। लेकिन जाने राजीव को क्या नजर आता था रेखा मै के वो पागलो की तरह उसे प्यार करने लगा ।रेखा कुछ समझ नहीं पा रही थी के वो क्या करे, क्योंकि राजीव की तो गृहस्ती है और राजीव कभी बी शयद उसे पत्नी होने का पूरा सम्मान समाज मैं नहीं दिला पायेगा। इसीलिये वो राजीव से दूरी रखने लगी।लेकिन राजीव का मैं कुछ सोचने समझने को तैयार नहीं था।<br />
गर रेखा 5 मिनट फ़ोन न थाए तो राजीव की हालात ऐसी होती थी के जैसे शारीर मई से जान निकल जाए। रेखा किसी चीज का नाम तक भी ले ले तो या किसी चीज की जरा सी तारीफ भर भी कर दे तो राजीव तुरंत वो उसके लिए खरीद लेता tha। वो कहीं भी जाए लेकिन रेखा के लिए कुछ न कुछ जरूर लाता था। अब रेखा को भी लगने लगा क प्यार के आगे रिश्तो अ कोई मोल नही। क्या हुआ गर वो उसके साथ कभी पत्नी ककी तरह रह नहीं पाएगी लेकिन उसके दिल मै तो वो ही रहेगी और रेखा बिना ब्याह एक बंधन मै बांध गयी।<br />
ल अब 5 साल हो गये और रेखा को कुछ अलग सा बदलाव लगने लगा राजीव दिन बा दिन उस से दूर हो रा था, उसकी हर बात को टालता था। <br />
जो इंसान सिर्फ rekha का चेहरा 2 मिनट के लिए देखने को पहले , बिना बताये 200 किलोमीटर दूर का सफ़र तय करता था अब रेखा के बुलाने पर भी नहीं आ पा रहा था उस से मिलने। रेखा ने एक दिन कहा के मुझे लाल लिपस्टिक दिलवा दो। तो राजीव ने कहा के दिलवा दूंगा। इसके baad रेखा ने कितनी बार ही कहा होगा उस से क एक लिपस्टिक दिलवा दो लेकिन राजिव के पास हर बार नया बहाना होता था।<br />
अब तो रोज र रेखा राजीव से लड़ने लगी के के तुम्हारे पास मेरे लिए टाइम ही नहीं लेकिन धीरे dheere तो लड़ने के लिए भी टाइम नई दे पाना मुश्किल हो गया राजीव को। <br />
<br />रेखा दिन रात बस रोटी रहती थी और फिर इस सदमे से उसकी सेहत भी बिगड़ने लगी । और रेखा को हॉस्पिटल एडमिट होना पड़ा लेकिन राजिव के पास अभी भी वक्त नहीं था के वो रैह को देखने जा पाये।<br />
औरअब रेखा ने खुद को समझाना शुरू किया के वो राजीव के लिए अपनी बेटी से , माँ बाप से मुह नई मोड़ सकती।एक महीने के बाद रैह हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुई तो घर आई। सोचा क अब खुद से खुद के लिए लिपस्टिक लाउबगि। बहुत रंग देखे कुछ पसंद नई आया। बहुत लिपस्टिक देखि 300 से लेकर 1100 wali और फिर सोचा के क्या करुँगी लिपस्टिक लेकर, मुझे कौनसा शोक है इन चीजो का। लेकिन लिपस्टिक की तमन्ना जा ही नहीं रही थी और फिर अपने घर के पास की दूकान से रेखा ने 2 लिपस्टिक ले ली।<br />
वो लिपस्टिक ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी है । 10 दिन से वाही पड़ी है लेकिन पता नहीं क्यों उन्हें खोलने का भी दिल नई करता।<br />
<br />सोचती हु के वो इंसान जिसकी खुद की 2 बिया हो और वो उन बेटियो पर जान नियोछावर् करता हो, वो कैसे अपनी ही बेटियो की हर कसम भूल जाता है। वो कैसे किसी दूसरे की बेटी को इतनी आसानी से छल लेता है<br />
राजीव बह</div>
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Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-1331533733614224002018-02-15T07:51:00.003-08:002018-02-15T07:51:38.931-08:00Aur kitni zainab<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhJTqa0JTjXPMbmU8jvbL1g5eLmRHJpV5T5JnVIp5cOnKMKhAtfyk7b2jNwvyQPrG6hF9EajHYKrB2gEzyDuk_SS9z2jh6HhRcGa_BGZpNsjB2YBLq-pZiVzvKSWmVd4ws1Eea6WgTGQOQ/s1600/zainab.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><span style="font-size: large;"><img border="0" data-original-height="405" data-original-width="720" height="360" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhJTqa0JTjXPMbmU8jvbL1g5eLmRHJpV5T5JnVIp5cOnKMKhAtfyk7b2jNwvyQPrG6hF9EajHYKrB2gEzyDuk_SS9z2jh6HhRcGa_BGZpNsjB2YBLq-pZiVzvKSWmVd4ws1Eea6WgTGQOQ/s640/zainab.jpg" width="640" /></span></a></div>
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<span style="font-size: large;">vo panch din maano hazaro saal the</span></div>
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<span style="font-size: large;">har pal ha kisi ke pas naye sawaal the</span></div>
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<span style="font-size: large;">par har sawal ka javaab bus la-javab tha</span></div>
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<span style="font-size: large;">puchta tha har koi, har gali se tera pataa </span></div>
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<span style="font-size: large;">par koi rasta mud kar javab na deta tha</span></div>
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<span style="font-size: large;">us raat ammi ro ro kar duhai deti rahi</span></div>
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<span style="font-size: large;">teri kanch ki churiyo ko je bahr dekhti rahi</span></div>
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<span style="font-size: large;">vo gulabi rang tha tera manpasand</span></div>
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<span style="font-size: large;">dekhkar teri kitabe dil par chata tha ranj</span></div>
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<span style="font-size: large;">abba laaye the naya khilona albela</span></div>
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<span style="font-size: large;">sochte the ke bus abhi aa jayegi tu</span></div>
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<span style="font-size: large;">bhai kahta raha ke ab aogi to har baat manega teri</span></div>
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<span style="font-size: large;">jis tofee choclate ke liye ladti thi se jee bhar ke dunga</span></div>
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<span style="font-size: large;">ab lagne laga tha duayo ka rang bhi feeka</span></div>
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<span style="font-size: large;">tum aai lekin saanse harkar aai</span></div>
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<span style="font-size: large;">tum aai magar ansua ka sailaab lekar aai</span></div>
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<span style="font-size: large;">tum aai magar ik inqulaab lekar aai</span></div>
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<span style="font-size: large;">tum aai magar maa ka dil cheerkar aai</span></div>
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<span style="font-size: large;">tum aai magar beharam duniya ka sar jhuka kar aai</span></div>
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<span style="font-size: large;">tum aai zainab magar jaane ke liye aai</span></div>
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<span style="font-size: large;">khuda kare ke zainab ko insaaf mile</span></div>
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<span style="font-size: large;">bus itna insaaf or yakeen mile</span></div>
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<span style="font-size: large;">ke dubara koi zainab na bane ab</span></div>
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Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-4844115571979197392018-01-26T08:54:00.001-08:002018-05-15T05:47:36.706-07:00जब कर्फ्यू मै था एक शहर सिरसा<div class="blogaway-section"><p>सिरसा शहर मै कर्फ्यू लग गया।क्योंकि एक साधू एक संत की एक बलात्कार के मामले मैं फैसला आनेवाला था और फैसला का रुख उस संत के खिलाफ दिख रहा था।<br/>
उन दिनों एक माँ बिस्तर पर पड़ी हुई बीमारी की गंभीर हालात झेलती हुई दो बेटो के साथ उस अनजान शहर मे जी रही थी। अनजान शहर इसलिए क्योंकि उस शहर मई कोई उसे जाननेवाला नहीं था। वो उस शहर मई 7 8 महीने पहले ही अपन दो बेटो के साथ आई थी। दरसअल उसकी बेटी साथ के शहर मैं ब्याही हुई थी ।और उसने ही अपनी माँ और भाइयो को पहले अपने शहर सिरसा मै बुलाया फिर दोनों भाइयो का जैसे तैसे कुछ काम शुरू करवाकर सिरसा शहर मै किराये का घर दिलवाया।<br/>
अब दोनों भाई उस शहर मई अपनी माँ के साथ रहते थे।<br/>
इस कहानी मै, जो माँ का पात्र है वो वास्तविक जीवन मै मेरी बहुत नजदीकी रिश्तेदार हैं जो अभी पिछले बरस तक उत्तर प्रदेश के एक शहर मई अपने भरे पुरे ससुरालियों और मायके वालो के बीच रहा करती थी। इस बीच उनके पति को दो बार अधरंग का अटैक आ गया, एक बार कोहनी की, एक बार कंधे की हड्डी टूट गई और एक बार कूल्हे की हड्डी की ऑपरेशन , इस तरह धीरे धीरे दोनों बेटो ने अपनी जमा पूंजी और साथ ही पुश्तैनी जायदाद का अपने हिस्से का टुकड़ा बेचकर उनके इलाज पर लगा दिया। और ऊपर एक शादीशुदा बहन को हर त्यौहार पर कुछ न कुछ देने की रस्म के चलते काफी कर्जे मई दुब गया परिवार।<br/>
लेकिन आखिर मै होनी बलवान हुई और एक पिता ने लंबी बीमारी से जूझते हुए दीवाली से 5 दिन पहले , 2016 मे अपने देह त्याग दी।<br/>
अब बस बची केवल माँ, लेकिन कहते है क माँ की छाया इस दुनिया की सबसे बड़ा आसरा और ताकात है । अब दोनों बेटे और माँ सिरसा शहर मै रहते है। लेकिन अचानक एक महीने से माँ की तबियत बहुत ख़राब रहने लग गई। अब माँ पिछले 20 दिन से बिस्तर पर है। उन्हें लगातार दवाई डॉक्टर की जरुरत पड़ती रहती है<br/>
लेकिन संत समुदाय के जाने माने संत और करोड़ो लोगो की श्रद्धा के प्रतिक , राम रहीम की कोर्ट मे पेशी होनी थी तो 3 दिन पहले ही शहर मे कर्फ्यू लग गया। अब ये बच्चे न तो काम पर जा प् रहे है और न ही माँ के लिए दवाई लेने जा सकते है क्योंकि पूरा शहर दंगो और आग मे झुलस रहा है।<br/>
और माँ बिस्तर पर लेती हुई बेजान से शारीर के साथ सोच रही हैके काश किसी तरह वो उठ जाए और अपने बच्चों को दो रोटी बनाकर दे दे।<br/>
पर क्या फरक पड़ता है किसी को एक बीमार इंसान के दर्द तकलीफ से। यदि दूसरे नजर से देखे तो इन श्रद्धालुओं और दंगाईयो मै कोई ख़ास फरक भी नहो, दोनों केवल खुद की झूठी आन बाण और जिद्द के लिए शांति प्यार सद्भाव सब खत्म कर रे है<br/>
लेकिन काश किसी को जरा सा भी ये कहानी छू जाए तो जान जाए <u>के</u> इंसानियत इस धरती पर सबसे बड़ा धर्म है और जीवन का वास्तविक लक्ष्य भी।<br/><br/><br/>
<br/>Ruchi Sehgal</p></div><br/>Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-39074395093310290712017-09-30T08:46:00.000-07:002017-09-30T08:46:19.748-07:00प्रदयमन ठाकुर, माँ मैं डरा नहीं<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="blogaway-section">
माँ, मै डरा नहीं<br />
था मै बहादुर बेटा<br />
इस बार रोया भी नहीं<br />
<br />
मेरे हर आंसू पे तूने संभाला<br />
कहा के बहादुर बच्चे रोते नहीं<br />
देख लो ना, मै रोया नहीं<br />
<br />
<br />
मै खुद ही खुद को संभालता रहा<br />
रेंगते हुए जिंदगी की और दौड़ता रहा<br />
लेकिन ये रेस मै हार गया<br />
<br />
मैं खून से लहूलुहान था जमीन पर पड़ा<br />
लेकिन तूने कहा था रोना नहीं<br />
देख लो, माँ मै रोया नहीं<br />
<div>
<br /></div>
</div>
</div>
Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0Gurugram, Haryana, India28.4594965 77.02663830000005928.236067 76.703914800000064 28.682926000000002 77.349361800000054tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-69262728398695403212017-09-16T10:24:00.000-07:002017-09-16T10:24:04.450-07:00देश का सबसे संवेदनहीन प्रधानमंत्री <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="blogaway-section">
"सौगंध मुझे इस मिटटी की,<br />
मै देश नहीं बिकने दूंगा"<br />
<br />" अच्छे दिन आने वाले है"<br />
<br />
मोदी जी, आप वो प्रधानमंत्री है, जिसे इस देश की जनता ने प्यार और गौरव इ साथ देश की कुर्सी पर बिठाया।<br />
आप वो प्रधानमंत्री है जो पिछलेदो दशकों केबाद पहली बार सम्पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता मैं आये।<br />
आप वो प्रधान मंत्री है जिसे देश के लोगो ने आम जनता का प्रधानमंत्री माना था।<br />
आप वो प्रधान मंत्री यही जो 90 दिनों मई देश का काला धन देश मै लाने वाले थे।<br />
<br />
पर मुझे बेहद्द अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है के आप इस देश के सब से सवेंदन हीन साबित हुए।<br />
देश मै बिहार झारखण्ड जहा नक्सलवाद पूरी तरह से आतंकवाद का रूप ले चूका है आप उस देश के प्रधान मंत्री है।<br />
हरियाणा प्रदेश मै जाट आरक्षण के नाम पर सेकड़ो महिलाओं से बलात्कार हो जाता है और बलात्कारी के लिए की जान चली जाती है परन्तु उसके बाद भी प्रदेश की जनता के लिए एक सहानुभूति भरा शब्द नहीं निकल पता आपके मुँह से।<br />
<br />
गुरग्राम मै के बच्चे की स्कूल के भीतर दिन डिहरे हत्या हो जाती है। पुरे देश के माता पिता चाहे वो कोई आम जनता थी या कोई अभिनेता अपने बच्चो की सुरक्षा के लिए भयभीत हो जाते है। परन्तु आप उस वक्त अहमदाबाद शहर को दुल्हन की तरह सजा रहे थे अपने जापानी दोस्त के लिए।<br />
<br />
देश की ट्रैन का जहा बुरा हाल है , शायद ही कोई ट्रैन पूरी तरह से समय बढ़ता के साथ चलती हो। 4 महीने बाद की एडवांस बुकिंग की डेट भी जहा कन्फर्म नहीं हो पाती वहा बुलेट ट्रैन की निजी खवाइश के लिए देश का पैसा बर्बाद किया जा रहा है<br />
<br />
एक 12th पास महिला को देश की शिक्षा मंत्री बनाया जा रहा है। वह भी उस महिला को जिसे राजनीती का कोई तजरुबा नहीं और जो न कही से संसद है न प्रतिनिधि।<br />
<br />
मोदी जी आप को लालू प्रसाद की बेटी जाने की फुर्सत तो है , सुरेश रैना जो की एक क्रिकेटर है उसकी शादी मै भी जाने की फुर्सत है परन्तु क्या आपको दंगा प्रभावित क्षेत्र मई जाना जरुरी नहीं लगा ? पंचकूला , मुजाफर नगर, सहारनपुर क्या जहा लोगो ने अपनी जान साम्प्रदायिकता मै गवा दी क्या वहा आपका जाना जरुरी नहीं था।<br />
देश की बेटिया पहले से अधिक असुरक्षित है , रेलगाड़ी का खाना 150 रुपये मई भी घटिया से घिटया होता जा रा है , टूटी हुयी सड़को की वजह से रोज सेकड़ो हादसे हो जाते है। धर्मगुरु जो 700 एकड़ से 1200 एकड़ मै खुलेआम अपनी अयाशी की अड्डे चला रहे है<br />
मै जानना चाहती हु की इतनी बड़ी जगह इन ट्रस्टों के नाम कर दी जाती है और उस जगह पर कोई भी सरकारी पुलिस स्टेशन नहीं। सरकार को इतना भरोसा क्यों है इन डेरो पर ? क्युकी यह एक सस्ता और आसान वोट बैंक है।<br />
मै जानती हु के आपके पास कोई जवाब नहीं होगा और न सवालो जवाब देंगे हलाकि जनता के सेवक होने के नाते ये आपकी जिम्मेदारी है के आप मेरे सवालों का जवाब दे मै फिर भी आपसे ये सवाल करती रहूंगी क्युकी ये मेरा फर्ज और हक़ है चाहे आप आप इन सवालों का जवाब न देकर अपना फर्ज भूल जाए लेकिन मई अपना फर्ज नहीं भूलूंगी। </div>
<br /></div>
Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-56271761648990596862017-09-15T22:43:00.001-07:002017-09-30T08:41:13.103-07:00प्रदयमन ठाकुर, माँ मैं डरा नहीं<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="blogaway-section">
माँ, मै डरा नहीं<br />
था मै बहादुर बेटा<br />
इस बार रोया भी नहीं<br />
<br />मेरे हर आंसू पे तूने संभाला<br />
कहा के बहादुर बच्चे रोते नहीं<br />
देख लो ना, मै रोया नहीं<br /><br />
<br />मै खुद ही खुद को संभालता रहा<br />
रेंगते हुए जिंदगी की और दौड़ता रहा<br />
लेकिन ये रेस मै हार गया<br />
<br />मई खून से लहूलुहान था जमीन पर पड़ा<br />
लेकिन तूने कहा था रोना नहीं<br />
देख लो, माँ मै रोया नहीं</div>
<br />
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Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-39015148182001340862017-09-15T07:14:00.000-07:002017-09-15T07:14:26.940-07:00प्रद्युमन ठाकुर , माँ मै कितना तड़पा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
माँ मैं कितना तड़पा ,<br />
माँ ये कैसा दर्द था<br />
<br />
आज मेरा इम्तिहान था<br />
मेरी टीचर ने क्या मुझे डांटा<br />
माँ , मैं इम्तिहान नहीं दे पाया<br />
माँ ये आदम था या आदमखोर का साया<br />
माँ मैं कितना तड़पा<br />
माँ तू थी उस वक़्त कहा<br />
<br />
मेरे बैग किताब पे ये कैसा दाग था<br />
ये लाल रंग कहा से आया<br />
ये कपड़ो पे लहू कहा से आया<br />
ये सांसो पे खून कैसे आया<br />
माँ मैं कितना तड़पा ,<br />
माँ तू थी क्यों न वहा<br />
<br />
मुझे जब जब चोट लगी<br />
तू हर वक्त , हर इंसान से लड़ी<br />
जरा सा खून बी बहा तो<br />
जाने कितना दर्द तुझको हुआ<br />
माँ मैं कितना तड़पा<br />
माँ, अब मई हु सुकून से यहाँ<br />
<br />
मैं अब तक ना समझा के हुआ क्या गुनाह<br />
राक्षशी कहानियो में कैसे जीत जाता था सच यहाँ<br />
मेरे खून के कतरो से कैसी थी दुश्मनी उसको<br />
क्यों हर कटरा दिया उसने पानी की तरह बहा<br />
माँ, मै कितना तड़पा<br />
माँ, तूने लगाई देर इतनी कहाँ<br />
<br />
मेरी एक चॉकेलट पड़ी है अभी तक<br />
जो मैंने बहन को भी न खाने दी<br />
कल जो था बर्थडे किसी का<br />
माँ मेरा भी जनम दिन तुम मानना इस बार<br />
माँ, मैं कितना तड़पा<br />
माँ, तेरा आँचल है कहा<br />
<br />
मुझे दर्द भी हुआ, सास भी रुकी<br />
पर मैडम और लोग क्यों रहे थे चिल्ला<br />
मैं बोलना चाहता था उड़ना चाहता था<br />
पर क्यों बेसुध होकर फिर जमीन पर गिर पड़ा<br />
माँ, मै कितना तड़पा<br />
माँ, आज आई चैन की नींद यहाँ<br />
<br />
<br />
<span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan main kitana tadapa ,</span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan ye kaisa dard tha </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">aaj mera imtihaan tha </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">meree teechar ne kya mujhe daanta </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan , main imtihaan nahin de paaya </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan ye aadam tha ya aadamakhor ka saaya </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan main kitana tadapa </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan too thee us vaqt kaha </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">mere baig kitaab pe ye kaisa daag tha </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">ye laal rang kaha se aaya </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">ye kapado pe lahoo kaha se aaya </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">ye saanso pe khoon kaise aaya </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan main kitana tadapa ,</span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan too thee kyon na vaha </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">mujhe jab jab chot lagee </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">too har vakt , har insaan se ladee </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">jara sa khoon bee baha to </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">jaane kitana dard tujhako hua </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan main kitana tadapa </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan, ab maee hu sukoon se yahaan </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">main ab tak na samajha ke hua kya gunaah </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">raakshashee kahaaniyo mein kaise jeet jaata tha sach yahaan </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">mere khoon ke kataro se kaisee thee dushmanee usako </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">kyon har katara diya usane paanee kee tarah baha </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan, mai kitana tadapa </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan, toone lagaee der itanee kahaan </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">meree ek chokelat padee hai abhee tak </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">jo mainne bahan ko bhee na khaane dee </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">kal jo tha barthade kisee ka </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan mera bhee janam din tum maanana is baar </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan, main kitana tadapa </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan, tera aanchal hai kaha </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">mujhe dard bhee hua, saas bhee rukee </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">par maidam aur log kyon rahe the chilla </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">main bolana chaahata tha udana chaahata tha </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">par kyon besudh hokar phir jameen par gir pada </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan, mai kitana tadapa </span><br style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;" /><span style="background-color: white; color: #777777; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">maan, aaj aaee chain kee neend yahaan</span><br />
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Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-65194216966081187252017-09-12T23:19:00.000-07:002017-09-15T05:58:11.921-07:00प्रदुमन ठाकुर , ryan international school murder case<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
प्रदुमन ठाकुर<br />
एक 7 साल का बच्चा, आँखों कैसी ख़ुशी ,चमक, सपने और उड़ान रखता है ये मै बहुत अच्छे से जानती हु। क्युकी मैं भी एक माँ हु 6 साल के बच्चे की। टीवी पर जब ये खबर सुनी के गुड़गांव के रयान इंटरनेशनल स्कूल मैं एक 7 साल के बच्चे का मर्डर हो गया उस वक्त मै दूसरे कमरे में बैठी आराम कर रही थी। पिछले कुछ दिनों से बुखार की वजह से बहुत कमजोरी महसूस हो रही थी तो अपने कमरे मै लेटी मैं आराम कर रही थी। टाइम दोपहर के 12 बजे होंगे। पापा ने न्यूज़ चैनल लगाया और ये खबर आने लगी।<br />
मैंने अचानक से डरने लगी। मेरा बेटा स्कूल से आने वाला था। जैसे ही स्कूल से आया उसे मैंने बहुत प्यार किया और सोचा के ये खबर 2 -4 दिन मैं टीवी से ख़तम हो जाएगी और मेरे दिले दीमाग से भी उतर जायेगी। जैसे बाकी की सब खबरे न्यूज़ चैनेलो से आकर धीरे धीरे गायब हो जाती है।<br />
पर ऐसा हुआ नहीं ,बार बार टीवी पर उस बच्चे की तस्वीरें देखती हु और सोचती हु के गर इंसान को रहम नहीं आया तो कुदरत को भी रहम नहीं आया उस मासूम चेहरे पर।<br />
एक माँ कितनी राते जागती रही , कितने ख्वाब रही के ये बच्चा होकर कैसा लगेगा। उसके लिए दिन रात दुवाये मांगती रही होगी। उसे जब जब भी जरा सा चोट लगी होगी तो माँ 10 बार आह भरी होगी। जरा से बुखार खांसी पे उसे गोद से नीचे नहीं उतरने देती होगी और आज उसका बच्चा कौन से लथपथ जमीन पर गिरा पड़ा था बेजान सा शरीर से जान बस निकलने वाली थी। बच्चे को कुछ महसूस नहीं हो रहा था बस कुछ शोर की आवाजे और फिर कोई आया उसे गोद में उठाया और भागने लगा। आनन् फानन मै उसे कार मई लेकर हॉस्पिटल की तरफ भागे उस बेजान सी नन्ही सी जान के साथ। लेकिन बेरहम किस्मत को एक माँ की गोद सुनी कर के ही चैन आया। हॉस्पिटल मैं डॉक्टरों ने प्रद्युमन को मृत घोषित कर दिया और एक माँ की सभी दुवाओ को बेअसर और बेकार साबित कर दिया।<br />
आज 4 दिन बीत गए लेकिन मैं अभी भी डर से बाहर नहीं ला पायी खुद को। रोज रात को अपने बच्चे को जोर से सीने से लगाकर सोती हु दिन भर उसे लाड लगाती हु। डर के मारे उसे दांत भी नहीं पाती। मैंने कभी नई देखा उस बच्चे को लेकिन दिन रात बस दुवा करती हु फिर भी। जानती हु के ये सब दुवाये बेकार है अब लेकिन मैं दवा करती हु के उस माँ को हौंसला मिले खुद को संभालने का। उस बाप को हिम्मत रहे अपने बच्चे के कातिलों से लड़ने की। आमीन </div>
Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-64851989094866444852017-06-28T08:38:00.000-07:002017-06-28T08:38:45.632-07:00अनार का पेड़ <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
अपने 6 साल के बेटे को आगे पीछे शरारते करते जब अक्सर अपना बचपन बहुत याद आता है बड़ा सा आंगन और बहुत से पेड़ , आम के, जामुन के और अमरुद के , और भी जाने कितने तरह पेड़ थे। मैं कसर जमीन पे उगने वाले पढ़िए के पत्ते तुलसी के पत्ते तोड़ के खाया करती थी <div>
मुझे याद है के हम जिस घर एक एक दुरी पे थे और बहुत बड़े भी। हमारे घर के पीछे भी छोटे छोटे कमरे मई लगभग 6 या उस से ज्यादा परिवार रहते थे। तक़रीबन सभी परिवार बिहार के पिछड़े इलाको से थे और रहन सहन बहुत ख़राब था। उनके बचो के कपडे अक्सर मैले और कई बार बदबूदार भी होते थे। पर मैं बहुत खुश रहती थी उन बचो के साथ। स्कूल से आते ही उन बचो के साथ घर घर खेलना मेरा खेल था। हलाकि ज्यादातर खेल वो बचे सड़क के किनारे खेलते थे जिस से मेरी माँ को था। क्युकी ये उनके मुताबिक अचे बच्चो का काम नहीं। शायद वो सही भी हो उस वक्त अपनी सोच मैं क्युकी हमारे आंगन मैं इतनी जगह थी के आराम से खेला जा सकता था और ऐसे मैं मेरी माँ को मेरा घर से दूर सड़क के बीच ख़राब हालात बचो के साथ खेलना उन्हें निश्चित ही परेशान भी करता होगा। मुझे आज भी याद है उन बचो के नाम , दीपमाला , शोभा, नैना, आरती , राजू, मुनिया ,मीशा, मनसा, मनभावती और चुहिया। </div>
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बिहार के गांव से होने के कारन उन लोगो को खेती बाड़ी की बेहतर अछि समझ भी थी इसीलिए मैं अक्सर आंगन मैं पेड़ पौधे लगाती थी कभी टमाटर , कभी भिंडी तो कभी घीया ,टोरी , मक्की ,पुदीना और पपीता। हलाकि ये ज्यादातर पेड़ मौसम के करवट बदलते ही खराब होकर सूख जाते थे </div>
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मुझे याद है के मेरी माँ ने मुझे एक अनार का पौधा लाकर दिया था जिसे अपने स्टोर रूम के पीछे मैंने रोप दिया था और रोज उसे खूब प्यार से मैं पानी देती थी उसके लिए खाद का इंतजाम करना और कीट नाशक छिड़कना ये सब जरुरी काम थे </div>
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समय के उस पेड़ की लम्बाई बड़ी और वो पेड़ मेरे कमर से भी ऊँचा हो गया और एक साल मैं वो पेड़ मेरे सर से भी ऊँचा हो गया </div>
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और 2 साल बाद उस पर फूल उगने लगे और मैं अभी भी दीपमाला और चुहिया के साथ उस पेड़ के निचे स्टापू खेला करती थी पहले साल 4 अनार लगे और अगले बरस शयद 20 अनार लगे फिर एक दिन उस घर को मेरे माँ पापा ने किसी को बेच दिया और हमें 6 महीने मैं वो घर खाली करना था मई सोचती रही के कैसे उस पेड़ को साथ सकू और धीरे धीरे सभी किरायेदारों ने वो घर छोड़ दिया वो पेड़ वीरान सा बना वही खड़ा रहा। अब मई भी उस पेड़ के पास नहीं जाती थी क्युकी दीपमाला , शोभा, चुहिया कोई भी तो नहीं था मेरे साथ। तो किसके साथ खेलती स्टापू और अकेले तो उस के फल गिनने का भी दिल नहीं करता था। ऐसा लगता था के वो पेड़ चूका था के अब उसे अकेले ही रहन होगा इसीलिए उसके पत्ते न तो अब हिलते थे न हवा करते थे ऐसा लगता था के वो पेड़ समय से पहले ही बूढ़ा हो चूका था। </div>
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धीरे धीरे हमारे नए घर मैं तैयारियां तेज हो गई सब लोग नए घर की साज सजावट और सफाई मैं व्यस्त हो गए और आखिर वो दिन आ ही गया जब हमें वो घर छोर कर जाना था। एक एक करके सब समान नए घर मैं ट्रक ट्रक से पहुंचाया जाएं लगा और सबसे आखिर मई सब पेड़ पोधो को गमलो को ट्रक मै रखा गया। पर पेड़ वो पेड़ वही खड़ा रहा और हम उस घर की चाबी किसी और के हवाले कर के नए घर को आ गए। </div>
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अब भी सोचती हु वो पेड़ इंसानो की तरह क्यों नहीं था ? क्यू जड़े छोड़ नहीं सकता था ?</div>
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Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0India20.593684 78.962880000000041-8.6044825 37.654286000000042 49.791850499999995 120.27147400000004tag:blogger.com,1999:blog-7768179250111194148.post-24052225577254346412017-06-28T06:45:00.001-07:002017-06-28T06:45:35.647-07:00रेलवे स्टेशन का साधू <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="font-size: large;">रेलवे स्टेशन के खाली प्लेटफार्म पर बैठी, मैं ट्रैन का इन्तजार कर रही थी. लाउड स्पीकर से आने वाली हर आवाज को मेरे कान लगातार सुन रहे थे. मेरी ट्रैन निकल चुकी थी और अगली ट्रैन २ घंटे बाद थी. मैं एक अच्छी लड़की की तरह चुपचाप प्लॅटफॉर पे बैठी हुई थी। आने जाने वाले लोगो की हलचल देख रही थी. कुछ लोग अपने बच्चो को चिप्स के पैकेट खरीद के दे रहे थे. और कुछ बेवजह ही प्लेटफार्म से दूर तक रेलट्रैक को देख रहे थे के शायद कोई और ट्रैन हो जिस से वो जल्दी पहुंच सके अपनी मंजिल को। </span><div>
<span style="font-size: large;">प्लेटफार्म पे लगी सीमेंट की बैठने की कुर्सी पर बैठे हर किसी इंसान को इन्तजार था अगली ट्रैन का। इतने मैं एक साधू भी प्लेटफार्म पे आया। उम्र से काफी कम दिखें वाला वो साधू बाबा पूरी फुर्ती के साथ स्टेशन पे इधर से उधर चहलकदमी करने लगा. कपड़ो की बात करू तो बसंती रंग का कुरता और धोती पहने हुआ था वो बाबा। शरीर की लम्बाई भी 6 फुट के आस पास होगी। बालो की लम्बी जटाये सर पे लपेट कर और उसपर भी बसंती रंग की पगड़ी पहन कर वो चहलकदमी करे जा रहा था। </span></div>
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<span style="font-size: large;">इतने मैं एक शताब्दी ट्रैन आई पर उस ट्रैन पे केवल रिजर्वेशन यानी के वो लोग जो अधिक किराया दे सकते थे वह लोग ही जा सकते थे। कुछ सावरीया ट्रैन से उत्तरी और शायद दो चार लोग उसमें चढ़े और ट्रैन चल पड़ी। दो मिनट मै ही पलटफोर्म फिर से वीरान हो गया। </span></div>
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<span style="font-size: large;">तभी वो साधू बाबा उठा और एक पुरुष के पास जाकर बोला " कुछ खिला दो बाबा, मुझे भूख लगी है " उस आदमी ने पेण्ट शर्ट पहनी हुई तो अछि हैसियत का मालूम होता था। पर फिर भी उस आदमी उसे गर्दन हिलाकर मना कर दिया। </span></div>
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<span style="font-size: large;">फिर वह साधू बाबा एक और आदमी के पास गया और वही बात बोली, पर उसे इस बार भी इस तरह मना कर दिया गया इसके बाद एक बार और ये ही हुआ और इस बार उस साधू बाबा के सहनशक्ति जवाब दे गयी। और उसने अपने सर से पगड़ी उठा कर प्लेटफार्म पे फेक दी और गाली देकर चिल्लाते हुए बोला " क्या तुम्हे केवल वो ही लोग साधू सन्यासी नजर आटे है जो भगवा कपडे पहन कर ए सी गाड़ीमे इधर उधर घूमते रहते है, और तुम लोग भी उनके आगे हाथ जोड़े खड़े रहते हो और नोटों की गद्दी लेकर भी। उन लोगो के तुम पेअर छूने को भी तैयार रहते हो लेकिन मैं क्या साधू नहीं। ये जटाये क्या मैंने यु ही शोक मैं बड़ा ली। "</span></div>
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<span style="font-size: large;"><br /></span></div>
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<span style="font-size: large;">इतना कहकर उस साधू बाबा ने अपनी कमर से निचे गिरती जटाये फिर से लपेटी और जमीन से गिरी हुई भगवा पगड़ी उठाई और दुबारा सर पर लपेट ली और प्लेटफार्म के कोने से तेजी से आगे चला गया </span></div>
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<span style="font-size: large;">परन्तु उसकी बाते अभी भी मेरे मैं को भीतर तक कचोटती है के आज के जीवन मैं लोग ए सी कमरे मैं रहने वाले, सोने चांदी के बर्तन मई खाने वाले और अचे संस्कारो का भाषण देने वाले को ही साधू क्यों मानते है कुछ लोग तर्क डेट है ये सड़क पे घूमें वाले साधू पीसो का उपयोग नशे का सेवन के लिट्ये करते है परन्तु इस बात का क्या प्रमाण के 5 स्टार साधू जो लम्बी लम्बी गाड़ियों ै घुटे है के वो यह सब प्रकार के विकारो से दूर है ?</span></div>
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<span style="font-size: large;"><br /></span></div>
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<span style="font-size: large;">इतने मैं ही मेरी ट्रैन आ गयी और मैं भी बाकी सभी लोगो की तरह ट्रैन मैं बैठ निकल पड़ी मंजिल की और। </span></div>
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<span style="font-size: large;"><br /></span></div>
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Ruchi Sehgalhttp://www.blogger.com/profile/09809707300420312086noreply@blogger.com0India20.593684 78.962880000000041-8.6044825 37.654286000000042 49.791850499999995 120.27147400000004