'दिखावा' एक लघु कहानी ब्लॉग है। यह एक प्रयास है समाज को आइना दिखाने का। ' दिखावा ' मुख्या उदेशय लोगो को अंतकरण मै झाकने के लिए प्रेरित करना है

Tuesday 27 February 2018

रेड लिपस्टिक दिलवा देना

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रेखा का शादी के दो साल बाद ही तलाक हो गया था और तबसे वो अपने माता पिता के घर ही रहती थी। उसकी एक बेटी भी है जिसका जनम उसके माँ बाप के घर ही हुआ और उसके जनम के बाद वो कभी ससुराल नहीं गयी न ही कोई ससुरलिया उसकी या उसके बच्चे की खेर खबर लेने आया कभी ।और अंत मे , टूटे हुए सपनो को बटोर कर रेखा फिर से एक नयी जिंदगी जीने लगी।
वो अभी ससुराल के ख़ौफ़नाक मंजर और क्रूर पति के कैफ से बहार निकली ही नहीं थी के उसकी जिंदगी मई राजू यानी राजीव आ गया,। राजीव जराजीव जिसकी एक बीवी थी दो बेटिया थी। लेकिन जाने राजीव को क्या नजर आता था रेखा मै के वो पागलो की तरह उसे प्यार करने लगा  ।रेखा कुछ समझ नहीं पा रही थी के वो क्या करे, क्योंकि राजीव की तो गृहस्ती है और राजीव कभी बी शयद उसे पत्नी होने का पूरा सम्मान समाज मैं नहीं दिला पायेगा। इसीलिये वो राजीव से दूरी रखने लगी।लेकिन राजीव का मैं कुछ सोचने समझने को तैयार नहीं था।
गर रेखा 5 मिनट फ़ोन न थाए तो राजीव की हालात ऐसी होती थी के जैसे शारीर मई से जान निकल जाए। रेखा किसी चीज का नाम तक भी ले ले तो या किसी चीज की जरा  सी तारीफ भर भी कर दे तो राजीव तुरंत वो उसके लिए खरीद लेता tha। वो कहीं भी जाए लेकिन रेखा के लिए कुछ न कुछ जरूर लाता था। अब रेखा को भी लगने लगा क प्यार के आगे रिश्तो अ कोई मोल नही। क्या हुआ गर वो उसके साथ कभी पत्नी ककी तरह रह नहीं पाएगी लेकिन उसके दिल मै तो वो ही रहेगी और रेखा बिना ब्याह एक बंधन मै बांध गयी।
ल अब 5 साल हो गये और रेखा को कुछ अलग सा बदलाव लगने लगा राजीव दिन बा दिन उस से दूर हो रा था, उसकी हर बात को टालता था।
जो इंसान सिर्फ rekha का चेहरा 2 मिनट के लिए देखने को पहले , बिना बताये  200 किलोमीटर दूर का सफ़र तय करता था अब रेखा के बुलाने पर भी नहीं आ पा रहा था उस से मिलने। रेखा ने एक दिन कहा के मुझे लाल लिपस्टिक दिलवा दो। तो राजीव ने कहा के दिलवा दूंगा। इसके baad रेखा ने कितनी बार ही कहा होगा उस से क एक लिपस्टिक दिलवा दो लेकिन राजिव के पास हर बार नया बहाना होता था।
अब तो रोज र रेखा राजीव से लड़ने लगी के के तुम्हारे पास मेरे लिए टाइम ही नहीं लेकिन धीरे dheere तो लड़ने के लिए भी टाइम नई दे पाना मुश्किल हो गया राजीव को।

रेखा दिन रात बस रोटी रहती थी और फिर इस सदमे से उसकी सेहत भी बिगड़ने लगी । और रेखा को हॉस्पिटल एडमिट होना पड़ा लेकिन राजिव के पास अभी भी वक्त नहीं था के वो रैह को देखने जा पाये।
औरअब रेखा ने खुद को समझाना शुरू किया के वो राजीव के लिए अपनी बेटी से , माँ बाप से मुह नई मोड़ सकती।एक महीने के बाद रैह हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुई तो घर आई। सोचा क अब खुद से खुद के लिए लिपस्टिक लाउबगि। बहुत रंग देखे कुछ पसंद नई आया। बहुत लिपस्टिक देखि 300 से लेकर 1100 wali और फिर सोचा के क्या करुँगी लिपस्टिक लेकर, मुझे कौनसा शोक है इन चीजो का। लेकिन लिपस्टिक की तमन्ना जा ही नहीं रही थी और फिर अपने घर के पास की दूकान से रेखा ने 2 लिपस्टिक ले ली।
वो लिपस्टिक ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी है । 10 दिन से वाही पड़ी है लेकिन पता नहीं क्यों उन्हें खोलने का भी दिल नई करता।

सोचती हु के वो इंसान जिसकी खुद की 2 बिया हो और वो उन बेटियो पर जान नियोछावर् करता हो, वो कैसे अपनी ही बेटियो की हर कसम भूल जाता है। वो कैसे किसी दूसरे की बेटी को इतनी आसानी से छल लेता है
राजीव बह



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