आज करीब करीब एक बरस होने को हो
उसकी बेवफाई को, और शायद मेरी बददुआ के सिलसिले को भी,
कभी सोचा ही नहीं था के उसे बददुआ भी दूंगी। मगर अब देती हु रोज देती हु और बहुत सारी देती हु
सब कुछ दिया था उसको, भरोसा ऐतबार प्यार इन्तजार , एक एक पल पे उसे खुद का मालिक बनाया मैंने । एक और प्यार का जी भर के इजहार करता था वो , वही दूसरी जी भर के शक करता था और गालिया भी देता था। उसे तो ये भी पसंद नहीं था के अपनी किसी सहेली से भी बात करू मैं।
मगर उसकी गालियां खाई और फिर भी ऐतबार किया उसका, साथ नहीं छोड़ा।
अब जब वो जा रहा था, बेवफाई के रस्मे खुलकर निभा रहा था । मेरी दर्द भरी आहे उसे सुनाई ही नहीं दी। मगर फिर उसने कुछ सुना। वो सुना जो मैं कह रही थी मगर वो सुन नहीं प् रहा था।
ये मेरा दर्द या उसे रोकने का कोई बयान नहीं था। ये वो आखिरी अमानत थी जो मैं उसे दे रही थी। वो चीज जो अब मुझे नहीं चाहिए थी।
ये थी मेरी किस्मत। मैंने उसे कहा के वो जा रहा है उसने कहा ,"नहीं" । उसने कहा के बस वक़्त नहीं उसके पास। तो मैंने कहा के जाओ, जहा जाना है चले जाओ, लेकिन मुझे नहीं भूल पाओगे तुम, मैं अब हर वक़्त तुम्हारे साथ रहूंगी तुम्हारी बेटियो की किस्मत बनकर। मैं अपनी किस्मत तुम्हारी बेटियो को दे रही हु । उनकी किस्मत जब जब बदकिस्मती दिखाएगी तब तब तुम मुझे याद करना और याद ना भी करो तो भी मैं ही दिखाई दूंगी तुमको।
वो फिर पूछता है के ये बददुआ क्यों दे रही हु उसको। मैंने पूछा के वो क्यों छोड़ कर जा रहा है।
उसने कहा ," मैं जान चूका हु के तुम्हारे साथ रहा तो मेरे घरवाले मुझे जान से मार देंगे।"
वैसे हद हो गई इस बार तो यादव बाबू के झूठ बोलने की, 7 साल से तो बोल रहे थे के स्वाति , मै मर जायूँगा लेकिन तुमको नहीं छोडूंगा, यहाँ तक के मर के भी नहीं छोडूंगा तुमको।
दो चार बार तो मुझसे भी वादे लिए के वादा करो स्वाति, तुम मर चाहे जाओ लेकिन मुझको छोड़ने का जिक्र भी नहीं करना।
और आज वो इंसान मुझे कहता के उसे अब मौत से डर लग रा है तो साथ नहीं रह सकता मेरे, तो रब करे वो एक एक पल में सो मौते मरे मगर फिर भी जिंदगी खत्म न हो उसकी।
उसकी बेटियो उसे वो मंज़र दिखाए के जिनको देखकर वो सो दफा कहे खुद से के काश वो मर गया होता ये देखने से पहले, मगर वो मरे ना।
और इसी तरह वो 100 साल जीये।
Sunday 9 December 2018
सो साल जिए मगर हजार दफा मरे इक बरस में
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