दर्द बेचैनी बददुआ , ये किस मोड़ पर मोहब्बत का सिलसिला हुआ
जिसे अपना बनाने चले , वो क्यों दुश्मनो की भीड़ में शामिल दिखा
सब कुछ तो दिया उसको प्यार, वफ़ा , इंटजार तो बदकिस्मती कहा से आई दरमियां
जाते जाते उसे फिर से झोली भर के दिया मगर वो जो मुझको न मिला
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