'दिखावा' एक लघु कहानी ब्लॉग है। यह एक प्रयास है समाज को आइना दिखाने का। ' दिखावा ' मुख्या उदेशय लोगो को अंतकरण मै झाकने के लिए प्रेरित करना है

Tuesday 4 December 2018

राजू को ही बददुआ क्यों

No comments :
स्वाति कुर्सी टेबल पर बैठी हुयी खुद में कुछ गुम सी थी। स्वाति जिसे जीवन में दो बार तलाक देखा। पहली बार उस पति से जिसे उसके माँ बाप ने चुना। स्वाति को रोहित से कुछ खास प्यार नहीं हुआ कभी भी लेकिन लगाव बहुत हुआ। क्योंकि स्वाति ने पहले ही दिन से एक नापसंद दिखने वाले चेहरे को अपना मान लिया था। उसे लगा के ये ही उसकी दुनिया है। ये घर गृहस्ती उसकी अपनी है और फिर अपनी चीज तो चाहे अछि हो खराब , सुन्दर हो या बदसूरत सबको अछि ही लगती है लेकिन उसका सब सपने टूट गए। उसकी शादी एक नापसंद दिखने वाले चेहरे से ही नहीं बल्कि एक कमअक्ल और बदमिजाज इंसान से हुई थी। स्वाति को बहित दुल्हन हुआ अपने तलाक से, इसलिए नहीं के वो रोहित को प्यार करती थी बल्कि इसलिए के वो इस रिश्ते को प्यार करती थी इस गृहस्ती को प्यार करती थी। अभी इस गम से बाहर निकली ही नहीं थी के राजेश उसकी जिंदगी में आ गया।

राजेश पहले से शादी शुदा दो बेटियो का बाप था। वो आया तो एक दोस्त की तरह लेकिन धीरे धीरे स्वाति के दिल में जगह बना ली उसने। और चोरी छिपे शादी भी कर ली उस से। एक ऐसी शादी जिसका ना कोई गवाह था ना कोई सबूत। पर कस्मे थी, रस्मे थी प्यार था और सब कुछ बेपनाह था
मगर ये शादी का भी वो ही अंजाम हुआ जो पहले हुआ था बस पहले तलाक के पीछे बहुत से लड़ाई झगरे थे और इस दूसरे तलाक के पीछे सिर्फ एक ख़ामोशी।
स्वाति ने टेबल से मुह उठाया और सामने देखा तो आईने में खुद स्वाति की परछांई बैठी थी । परछाई ने स्वाति से कहा के क्यों राजेश को इतनी बददुआ देती हो तुम, ऐसा क्या हुआ , कोई नई बात थोड़ी हुई तुम्हारे साथ, एक तलाक पहले हुई थी अब दूसरी भी हो गई ।जहा एक तलाक को बर्दाश्त किया अब दूसरी बार क्या तकलीफ है तुमको, क्यों दिन रात सोते बैठते, खाते, चलते, हस्ते रोते हुए राजू (राजेश) को बददुआ देती रहती हो।
शांत रहो, कम करो गुस्सा, हो सकता हो के कोई मज़बूरी रही होगी उसकी।
अब स्वाति ने देखा उस परछाई को और वो चुप हो गई।
अब स्वाति कहती है, मेरा पहली शादी में एक भी वादा एक भी कसम नहीं खाई थी रोहित ने मेरे लिए, एक बार भी प्यार का दावा नहीं किया था, मुझसे प्यार की मिन्नतें नहीं की थी, मेरे दरवाजे पर दिन रात भिखारी की तरह प्यार की भीख नहीं मांगी थी, उसने अपने खुद के बेटे को गले से नहीं लगाया ।
लेकिन राजू ने मुझसे अनगिनत वादे किये थे, उसने कहा था के वो मरेगा लेकिन मुझे नहीं छोड़ेगा, वो सब रिश्ते तोड़ देगा लेकिन ये रिश्ता नहीं टूटने देगा। पहली बार मेरे सपने टूटे और दिल टुटा तो राजू ने अपने प्यार से उसे सवारा था तो क्या इसलिए के दूसरी बार उसे वो खुद चकनाचूर कर सके। उसने मेरे दरवाजे पर आकर सालो प्यार की भीख मांगी थी तो क्या इसलिए के जब मेरा दिल उसे प्यार देने के लायक हो तो वो मुझे जलील कर सके।

No comments :

Post a Comment