वो जो जी भर के हसाता है मुझको
बहुत दिल चाहता है के मैं भी उस से पूछूं
के तुम्हारी भी तो कुछ ख्वाइश होंगी
कुछ नही कहता, ना अफसोस जताता है
पर दिन भर का थका हारा मुझे आकर गले जरूर लगाता है
मैं कुछ न कर पाने के हजार बहाने उसे बताती हूं
मगर वो चुपचाप सब कुछ मेरे लिए करता ही जाता है
सोचती हूं के कुछ नया कपड़े लू उसके लिए
या कुछ अच्छा खाना बना दू उसको मैं
पर क्या इतना सा कुछ करने से ही
मैं उसके बराबर खड़ी हो जाती हू प्यार में
कुछ नही समझ आता, बस दिल चाहता है
के दिन रात दुआ मांगू उसके लिए के
हर खुशी उसे मिले मुस्कराहट उसकी कभी ना छूटे
बस इतनी ही दुआ है अब मेरी के मेरी ये दुआ कबूल हो जाए
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